वेंटीलेटर क्या है( Ventilator Kiya Hai) Coronavirus के अलावा आजकल सबसे अधिक चर्चा इसी की सुन रहे हैं, जिसके बारे में पहले बहुत कम सुना होगा। सबसे पहली बात तो यह कि Ventilator कोई ऐसी मशीन नहीं है कि मरीज को उसके अंदर डाल दिया और ठीक होने पर निकाल लिया।
दरअसल हमारे शरीर को लगातार Deathbed Oxygen की एक निश्चित मात्रा की आवश्यकता रहती है, साथ ही लगातार अपशिष्ट वायु कार्बन डाई ऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालना होता है। इसकी आपूर्ति हमारे फेफड़े करते हैं। जब हम सांस अंदर खींचते हैं तो वायु में घुली ऑक्सिजन फेफड़े की पतली झिल्लियों वाले असंख्य गुब्बारेनुमा संरचनाओं में भर जाती है। उन्ही से चिपकी हुई खून की बहुत पतली नलियों से कार्बन डाई ऑक्साइड निकल कर फेफड़ों के गुब्बारों में और वहाँ से ऑक्सिजन खून में पहुँच जाती हैं। यह तो रही सामान्य बात।
Covid-19 इन्फेक्शन में वाइरस फेफड़ों में बहुत तोड़ फोड़ मचाता है जिसके वजह से इकट्ठा हुए बहुत सारे अनचाहे रसायन गुब्बारों और खून की नालियों की दीवारों को नुकसान पहुंचाते हैं। Oxygen और carbon dioxide का लेनदेन बाधित हो जाता है। बहुत सारे मामलों में इन गुब्बारों में पानी जैसा तरल पदार्थ भर जाता है जिससे मुश्किलें कई गुना बढ़ जाती हैं। शरीर में Oxygen की कमी और carbon dioxide की अधिकता होने लगती है।
Ventilator Kya Hota Hai - What is Ventilator
बहुत सरल भाषा में कहें तो यह एक मशीन है जो ऐसे मरीजों की जिंदगी बचाती है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ है या खुद सांस नहीं ले पा रहे हैं। यदि बीमारी की वजह से फेफड़े अपना काम नहीं कर पाते हैं तो वेंटिलेटर सांस लेने की प्रक्रिया को संभालते हैं।
- इसको मुंह, नाक या गले में एक छोटे से सर्जेरी के माध्यम से एक ट्यूब श्वास नली में डाली जाती है।
- यह फेफड़ों में ऑक्सीजन भेजती है।
- उसके बाद शरीर से Carbon Dioxide बहार निकलती है।
- लोगो को सांस लेने में मदद करती है।
- और ये उन लोगो को सांस लेने में आसान करता है जो खुद से सांस नहीं ले पाते है।
- एक वेंटीलेटर कुछ ही समय के लिए इस्तेमाल किया जाता है, सर्जरी के दौरान जब आपको Anaesthesia दिया गया हो।
इसे मैकेनिकल वेंटिलेशन भी कहा जाता है। यह एक जीवन सहायता उपचार है। मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरुरत तब पड़ती है जब कोई रोगी प्राकृतिक तरीके से अपने आप सांस लेने में सक्षम नहीं होता है।
वेंटिलेटर कैसे काम करता है - Ventilator kaise kaam karta hai in hindi
Ventilator कोई एक ट्यूब के जरिये मरीजों से जुड़ा होता है. ट्यूब रोगी मरीजों के मुँह या नाक या गले के सांस लेने वाली नली में राखी जाती है. और उसके बाद पेशेंट के गले में आगे खिश्काई जाती है। कभी कभी इस ट्यूब को सर्जरी के द्वारा गले में रखा जाता है। और कभी कभी मेर्जेन्सी में मरीज को नींद के लिए या दर्द को कम करने के लिए Windpipe में दवा दी जाती है। और अगर मेर्जेन्सी नहीं है तो ये प्रक्रिया Anaesthesia का उपयोग किया जाता है। ट्रैच ट्यूबों का उपयोग उन लोगों के लिए किया जाता है जिन्हें लंबी अवधि के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। जो रोगी जाग रहे हैं उनके लिए, यह ट्यूब एंडोट्राचेल ट्यूब की तुलना में अधिक आरामदायक है। कुछ स्थितियों में तो, एक व्यक्ति जिसको ट्रेच ट्यूब लगी हुई है, वह बात करने में भी सक्षम हो सकता है। वेंटिलेटर आमतौर पर दर्द का कारण नहीं बनते हैं। और यदि रोगी लंबे समय तक एक वेंटिलेटर पर हैं, तो उसे संभवतः Nasogastric Tube या Feeding Tube के माध्यम से भोजन दिया जाता है। एक Ventilator रोगी की Activity को बहुत सीमित कर देता है। वेंटीलेटर मरीज अपने बिस्तर पर या कुर्सी पर बैठ सकता है लेकिन ज्यादा घूम नहीं सकता है।
वेंटिलेटर कितने तरह के होते हैं - Types of Ventilator
Mechanical Ventilation
मेकेनिकल वेंटिलेटर के ट्यूब को मरीज के सांस नली से जोड़ दिया जाता है, जो फेफड़े तक ऑक्सीजन ले जाता है। वेंटिलेटर मरीज के शरीर से कार्बन डाइ ऑक्साइड को बाहर खींचता है और ऑक्सीजन को अंदर भेजता है।
Non invasive ventilation
दूसरे प्रकार के वेंटिलेटर को सांस नली से नहीं जोड़ा जाता है, बल्कि मुंह और नाक को कवर करते हुए एक मास्क लागाया जाता है जिसके जरिए इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है।
इस क्रिया में मरीज को बेहोश नहीं करना पड़ता और इसके अपने दुष्परिणाम कम होते हैं। नॉन इनवैसिव वेंटीलेटर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे आसानी से, कम लागत में, कम समय में तैयार किया जा सकता है और इसके इस्तेमाल के लिए बहुत प्रशिक्षण की भी अवश्यकता नहीं है। परंतु गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों में इससे पूरा लाभ मिलने की संभावना कम रहती है।
कोरोना मरीजों के लिए क्यों जरूरी है वेंटिलेटर - Why is Ventilator Needed for Corona Patients
World Health Organisation (WHO) के मुताबिक, Covid-19 से संक्रमित 80 फीसदी मरीज अस्पताल गए बिना ठीक हो जाते हैं, लेकिन छह में से एक मरीज की हालत गंभीर हो जाती है और उसे सांस लेने में परेशानी होने लगती है। ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। फेफड़ों में पानी भर जाता है, जिस की वजह से सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। शरीर में Oxygen की कमी होने लगती है। इसलिए Ventilator की जरुरत होती है।और इसके माध्यम से रोगी के शरीर में Oxygen की मात्रा को समान्य बनाया जाता है।वेंटिलेटर की कीमत कितनी है - Cost Of Ventilator in india
Ventilator की कमी की एक वजह इसकी कीमत भी है, Ventilator की कीमत बहुत ज्यादा होती है। एक Ventilator के लिए 5 से 10 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। हालांकि, महिंद्रा एंड महिंद्रा ने हाल ही में दावा किया है कि कंपनी महज 7500 रुपये में वेंटिलेटर का निर्माण करेगी।
भारत में वेंटीलेटर की कुल संख्या - How Many Ventilators in India
Covid 19 की वजह से ventilator की बहुत ही ज़रुरत पड़ गई। मौजूदा जरूरतों के मुताबिक वेंटिलेटर्स की संख्या पर्याप्त है, Ventilator की ज़रूरत पूरी दुनिया को इस समय पड़ गई है। अमेरिका जैसे साधन संपन्न देश में भी Ventilator के उत्पादन की आवश्यकता आ गई है। कोरोना संक्रमितों की संख्या के मामले में अमेरिका सबसे आगे निकल गया है। कोरना प्रभावित सभी देश वेंटिलेटर्स के उत्पादन में जुटे हैं। क्योंकि मरीजों की संख्या बढ़ी और Ventilator कम पड़े तो बड़ी संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ सकती है। भारत भी Ventilator की संख्या बढ़ाने मैं लग गई है।
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Thanks for sharing Awesome post
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